बस कुछ लिखना चाहता हूं.

Friday, May 19, 2006

जूते

इक शाम किसी बज़्म में जूते जो खो गये..
हम ने कहा बताईये घर कैसे जाऐंगे...
कहने लगे के शेर बस कहते रहो युहीं....
गिनते नहीं बनेंगे अभी इतने आऐंगे.....

साग़र खय्यामी....

2 Comments:

Blogger Ravinder Thakur said...

this one is really good.

3:38 AM  
Blogger Prashant Singh said...

mast hai bhai

12:25 PM  

Post a Comment

<< Home