बस कुछ लिखना चाहता हूं.

Friday, May 26, 2006

दिल गया

दिल गया तुमने लिया हम क्या करें...
जाने वाली चीज़ का ग़म क्या करें....

पूरे होंगे अपने अरमां किस तरह..
शोंक बेहद, वक्त है कम, क्या करें....

बक्श दें प्यार की ग़ुस्ताखीयां..
दिल ही काबू में नही, हम क्या करें...

तुंद-खूं है कब सुने वो दिल की बात..
ओर भी बरहम को बरहम क्या करें....

एक साग़र पर है अपनी ज़िंदगी..
रफ्ता रफ्ता इस्से भी कम क्या करें....

कर चुके सब अपनी अपनी हिकमते...
दम निकलता है, ऐ-हमदम क्या करें....

मामला है आज हुस्नो-इश्क का...
देखीये वो क्या करें, हम क्या करें....

कह रहे अहले सिफारिश हम से दाग़....
तेरी किस्मत है बुरी हम क्या करें.....



दाग़ देहलवी

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