बस कुछ लिखना चाहता हूं.

Wednesday, January 24, 2007

यह इंतज़ार ग़लत है

यह इंतज़ार ग़लत है कि शाम हो जाये ।
जो हो सके तो अभी दोर-ऐ-जाम हो जाये ।।
मुझ जैसे रिन्द को भी हश्र में यारब ।
बुला लिया है तो कुछ इंतज़ाम हो जाये ।।


नहीं पता किसका है ।।

1 Comments:

Blogger Unknown said...

bashao achcha lagaa bhaijaan ko, bass rind ka exact matlab yaad nahii abb

4:54 AM  

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