नज़र
वो जो ऐक नज़र की जुबिश से, सब दिल की बाज़ी लूट गया ।
वो जिस से नज़रें चार हुईं ओर हाथ से साग़र छूट गया ।।
दिल उसका भी है, दिल मेरा भी, है फर्क तो बस इतना सा शकील ।
वो पत्थर था जो साबुत है, ये शीशा था जो टूट गया ।।
शकील बदायूनी....
वो जो ऐक नज़र की जुबिश से, सब दिल की बाज़ी लूट गया ।