यह इंतज़ार ग़लत है
यह इंतज़ार ग़लत है कि शाम हो जाये ।
जो हो सके तो अभी दोर-ऐ-जाम हो जाये ।।
मुझ जैसे रिन्द को भी हश्र में यारब ।
बुला लिया है तो कुछ इंतज़ाम हो जाये ।।
नहीं पता किसका है ।।
यह इंतज़ार ग़लत है कि शाम हो जाये ।
हंगामा-ऐ-ग़म से तंग आकर, इज़हार-ऐ-मुहब्बत कर बैठे ।